रंगीला बाबू के मन की बात

आ गए मेरे मुठ्ठल दोस्तों और मेरी उंगलीबाज हसिनाओं... आप सभी को रंगीला बाबू की तरफ से लंडवत प्रणाम… और गोटी गोटी नमन…

आज मैं आप लोगों के लिए कोई चुदम चुदाई की कहानी लेके नहीं आया हूं …बल्कि आज आपके साथ कुछ बाते करने का मन कर रहा है…

जानते हो…आज क्या हुआ?

आज मास्टरभूषण करने के बाद जब लंड पर नजर गई तो ख्याल आया है एक जमाना था जब ये साला मूंगफली जितना था और आज साला तगड़ा खीरा बन चुका है। 

बचपन की बात कर रहा हूं, बचपन में ये लंड ऐसा नहीं हुआ करता था बस इसकी जगह यहां पर एक छोटी सी किशमिश लटका करती थी। 

अब सालों छोटी लुल्ली वालों भोसड़ पप्पूओ मुझे खुद से न जोड़ना, नहीं बिल्कुल नहीं, हम अलग है… 

बचपन भी कितना हसीन था ना.. खाओ… पियो… सो जाओ… कहीं इधर नंगे पड़े हैं, कहीं उधर पड़े हैं। 

फिर धीरे धीरे बड़े होते गए। साथ ही बढ़ता है इसका आकार। 

पर जैसे-जैसे बड़े होते गए दिमाग में चूत लेने की ऐसी तड़प उठने लगी कि बचपन में जिन आंटी और भाभियों ने हमें गोद में उठाया था, अब यह दिल उनको गोद में उठाने के सपने देखने लगा। हाय रे मेरे हसीन सपने !!! 

अब तो चूत के सपने नीचे तंबू में बम्बू खड़ा कर देते है।

सच की कहा गया है कि बचपन मे भूतों के.. और जवानी मे चूतों के सपने दिमाग की माँ चोदकर रख देते हैं।

अब तो बस यही दुआ है मेरी कि काश कोई मिल जाए…क्योंकि पक चुका हूं मैं…दूर दूर से देख देख के…थक चुका हूं मैं...

लेकिन आजकल की साली नई-नई जवान हुई लड़कियां चारपाई के खूंटे पे बैठ के चूत फटवा लेगी पर किसी मासूम का भला नहीं करेगी। हमारी गांड जलाने को एक और आ गया है मार्केट में नया खिलौना – DILDO

मगर एक बात तो सच है कि एक रबड़ का खिलौना क्या बराबरी करेगा मर्दों के तन तनाते हथियार से। पर हाय ये मुसीबत… 

सच ही कह गए है लोग कि ऐसा कलयुग आएगा, नकली लंड से चूत चुदेगी, असली खड़ा पछताएगा।

सच कहूं तो ये 18-20 की कुछ कुपोषित निब्बियों से कहीं ज्यादा बेहतर 30+ की भाभियां होती हैं क्वालिटी, कवांटिटी और दमदार… आह! 

सोच कर ही मेरी और मेरे छोटा चेतन यानी हम दोनों की लार टपकने लगती है।

मन तो बहुत है किसी कमसिन जवानी को अपने घोड़े पे बिठा की उसे जन्नत की सैर कराने की…। पर कौन साला चूत के लिए गिड़गिड़ाए, आंसू बहाए, चिंता में अपनी गांड जलाए।

सुनो और एक बात हमेशा याद रखना… जिल्लत की चूत से लाख गुना बेहतर होती है… इज्जत की मूठ।

इसी मौके पे अर्ज करता हूं…

चिंता से चतुराई घटे, दुख से घटे शरीर… 

और जब तक न मिले…

हाथ से काम चलाते रहो, खुश रहेगा शरीर..!

अब बचपन में इतना खो ही गया हूं तो आओ जाते जाते तुम लोगों को बचपन की एक poem अपने तरीके से सुनाता हूं…

Poem का नाम है- Nipple Nipple Little Star 

Nipple Nipple Little Star;

Can I fuck you in My Car.

Up Above Your Boobs So High;

Always Milky Never Dry

Let Me Press it, Don’t Feel Shy;

Open Your Penty, Let Me Try!

दोस्तो अब विदा लेता हूं आप सब से… जा रहा हूं फिर से हिलाने को, किसी मस्त चूची की याद में फिर से खो जाने को…

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