कल पुरानी पड़ोसन बाजार में मिल गई हाल-चाल पूछने के दौरान उसने बताया दोनों अब बड़े हो गए हैं काबू में ही नहीं आते.. समझ में नहीं आ रहा था कि वह किसकी बात कर रही थी। बातों ही बातों में उसने पूछ लिया कि क्या घर चलकर दोनों से मिलना नहीं चाहोगे.. उस वक्त तो मुझे लगा शायद अपने बच्चों की बात कर रही है तो मैंने हां कर दी.. फिर मैं उसके साथ उसके घर चला आया।
घर आते ही उसने मुझे सोफे पर बैठने को कहा और खुद अंदर चली गई हाथ में सब्जी का थैला था लेकिन फिर भी उसे सोफे के पास रखकर वह सीधे अपने बेडरूम में चली गई।
मैं बेवकूफ अभी भी यही सोच रहा था कि वह अपने दोनों बच्चों से मिलवाने के लिए मुझे लेकर आई है; पर मुझे क्या पता था आज मेरी किस्मत एक नया मोड़ लेने वाली है।
कॉलेज के दिनों के बाद मैं सीमा से आज पहली बार मिला था। मैं नहीं जानता था कि उसे हमारे कॉलेज में की गई चुदाई की बातें आज भी याद होगी या नहीं। सच कहूं तो मुझे कॉलेज के समय उसकी चूत का चस्का लग गया था ऐसी रसीली और कसावट से भारी चूत मुझे आज तक दोबारा नहीं मिली। कॉलेज के दौरान हमने एक दूसरे के साथ बहुत सेक्स किया था।
मुझे आज भी याद है जब कॉलेज के दौरान हमने पहली बार सेक्स किया था उसकी चूत में डाला हुआ हर एक धक्का मुझे आज भी रोमांचित कर देता है। पर कॉलेज की बातें कॉलेज के बाद ही मानो खत्म सी हो गई थी। कॉलेज के तुरंत बाद उसके पिता ने उसकी शादी एक पैसे वाले रईस आदमी से करवा दी थी।
मुझे नहीं पता था कि आज उसे अचानक यूं ही मुलाकात हो जाएगी और मैं आज इस वक़्त उसके घर में बैठा हूँ। पुरानी बातों को याद करते हुए मेरा लंड खड़ा हो चुका था। मैं अपनी पेट को एडजस्ट करके अपने लंड को छुपाने की कोशिश कर ही रहा था कि दरवाजा खुला।
वह एक लाल सेक्सी ड्रेस में मेरे सामने आई उसे देखकर अब अपने आप पर काबू रख पाना बहुत मुश्किल था। उसके लाल सेक्सी ड्रेस में बड़े-बड़े बूब्स देखकर मैं समझ गया था कि वह किसकी बात कर रही थी इतनी बड़ी चूचियों को तो सच में काबू में लाना मुश्किल है।

उस लाल पारदर्शी नाईटी के अंदर से उसकी चूचियों के निप्पल झलक रहे थे। उसकी चूचियां कॉलेज के समय में इतनी बड़ी नहीं थी जितनी कि अब हो चुकी है।
वह मेरे करीब आई और मुझसे बोली मैं चाहती तो नहीं थी पर तुम्हें देख कर खुद को रोक नहीं पाई और तुम्हें अपने घर ले आई।
यह जानते हुए कि मेरे घर पर बहुत रिक्स है। मगर मैं कॉलेज के उन दिनों को फिर से जीना चाहती हूं। तुम्हारे लंड का मजा आज अपनी चूत को देना चाहती हूं। फिर उसने अपनी नाइटी के अंदर हाथ डालकर अपनी चूचियों को दबाते हुए कहा क्या इन्हें बाहर नहीं निकलोगे? कब से बेताब हैं तुम्हारे हाथों में आने के लिए।
यह सुनते ही मानो मेरे अंदर करंट दौड़ गया हो। मैंने झट से उसकी नाइटी के अंदर हाथ डालकर उसकी चूचियों को बाहर निकाल लिया। उम्र के इस पड़ाव पर भी की उसकी चूचियां काफी नरम थी। मैं उसकी चूचियों को अपने मुंह में भरकर पागलों की तरह चूसता रहा। मैंने उसके बदन को चूसते हुए उसे सोफे पर लेटा दिया उसकी चूचियों को दबाते हुए दूसरे चूचियों को मुंह में भरकर पिता रहा।
उसने मेरा हाथ पकड़ कर झट से अपनी पैंटी के अंदर डाल दिया। अब मेरा हाथ सीधे उसकी चूत के मुहाने पर था जो काफी गीली हो चुकी थी। मैंने उसके होठों को चुमते हुए अपनी ऊंगली उसकी चूत में डाल दी।
पर मैं समझ चुका था कि उसकी चूत की प्यास बुझाने के लिए मेरी उंगली काफी नहीं है। उसे तो सिर्फ लुंड के धक्के ही शांत कर सकते हैं। फिर मैं ने ना आव देख ना ताव; सीधा अपनी पेंट उतार कर अपना तन-तनाता लंड उसकी चूत पर रख दिया।
ऐसा करते ही उसकी चूत में हलचल होने लगी। उसकी चूत की पंखुरियाँ फड़फड़ाने लगी; मानो मेरे लंड को अपने अंदर लेने के लिए अपनी बाहें फैला रही हो।
दोस्तों, चूत रसीली हो और तना हुआ लंड हो तो चुदाई को कोई रोक नहीं सकता। अब सीमा अपनी आंखें बंद किया दोनों टांगें फैला कर चुदने को तैयार थी।
चोदने को तो मैं भी तैयार था इसलिए पूरा जोर लगाकर उसकी गीली चूत में लंड डाल दिया उसकी चूत में पूरा लंड एक ही बार में निगल लिया उसकी चूत में धक्के मारने की बारी थी इतनी गीली चूत यकीन मानो दोस्तों पहले धक्के से ही फच-फच की ऐसी आवाज कमरे में गूंजने लगी जिसे सुनकर हम दोनों और भी कामुक हो गए।
हम दोनों ने एक दूसरे को इतना कसकर पकड़ लिया कि सोफे पर लेटे-लेटे चूत में धक्का देना और उसकी आवाज में पूरे कमरे में सुनाई देना शुरू हो गई थी। कुछ देर की दमदार चुदाई के बाद उसमें मुझसे कहा कि क्या तुम मुझे अपनी घोड़ी बनाकर चोदना नहीं चाहोगे।

बस फिर क्या था बना दिया उसे अपनी घोड़ी। उसकी कमर पकड़ कर उसकी चूत में पीछे से मैं बेकाबू घोड़े की तरह धक्के मारता रहा। किसी ने सच ही कहा है – ऊपर वाला जोड़ी बनता है और नीचे वाला घोड़ी बनाता है। उसकी सिसकियां बता रही थी कि वह भी चुदाई के हर पल का आनंद उठा रही थी। काफी देर तक चुदाई का मज़ा लेने के बाद जब वह झड़ गयी तो पूछने लगी कि तुम अपना पानी कब निकलोगे।
मैंने उससे पूछा कि मैं अब पानी कहां निकालूँ। उसने कहा मेरी चूत में ही गिराओ। मैं तुम्हें अपने अंदर ही गिरते हुए महसूस करना चाहती हूं। उसे दिन मुझे एक बात समझ आई – यह सारा किस्सा 2 बूंद पानी का हैं कोई बाहर निकालने को तड़प रहा है और कोई अन्दर लेने को तरस रही हैं।
मैंने अपने धक्कों की रफ्तार और तेज कर दी और उसकी चूत में पानी गिराना शुरू कर दिया। मैंने सारा पानी उसकी चूत में ही निकाल दिया और उसके ऊपर निढाल होकर लेट गया। उसने भी मुझे अपनी बाहों में भर लिया और मेरे बालों में हाथ फेरने लगी मानो जैसे इस चुदाई के लिए वह मुझे दिल से शुक्रिया कह रही हो।
मैंने उस से एक सवाल पूछा कि अचानक इतने सालों के बाद मिलने पर भी तुम मुझे अपने घर क्यों ले आई। जबकि तुम्हे पूरी तरह से मालूम था कि यह काफी रिस्की है। वह जवाब मुझे जिंदगी भर याद रहेगा। उसने इसका जवाब देते हुए कहा कि – जिस्म की भूख औरत को भी होती है लेकिन परोसने वाला मर्द पसंदीदा होना चाहिए।