बिन मांगे मोती मिला – Part 1

एक रोज सांय 9 बजे के करीब मेरे फ्लैट की घंटी बजी। मैंने दरवाजा खोला तो एक 45-46 वर्ष की औरत खड़ी थी।

उसने कहा- साहेब, मैं यहाँ इस गाँव में रहती हूँ, मेरी बेटी का 3 साल के बेटे को बहुत तेज बुखार है, आपके पास गाड़ी है तो थोड़ी हमारी मदद कर दो और बच्चे को डॉक्टर के ले चलो।

मैंने झटपट गाड़ी उठाई और उस औरत को बैठा कर पास ही उसके घर के सामने गाड़ी रोक दी। वह एक कमरे में रहती थी। तभी एक बच्चे को उठाये एक 26-27 साल की दिखने वाली लड़की आई और बच्चे को लेकर गाड़ी में बैठ गई। वह औरत घर पर ही रह गई।

बच्चे को तेज बुखार था।

जब मैंने पूछा कि किस डॉक्टर को दिखाना है तो उसने कहा- पता नहीं।

उस वक्त सब क्लीनिक बंद हो चुके थे अतः मैं सीधा बच्चे को लेकर PGI चंडीगढ़ के बच्चा वार्ड की इमरजेंसी में ले गया।

वहाँ जाते ही डॉक्टरों ने कुछ दवाइयाँ मंगाई जो मैं ले आया और बच्चे का इलाज शुरू हो गया।

डॉक्टर्स ने कहा कि अब घबराने की कोई बात नहीं है, परन्तु बच्चे को रात भर यहीं रखना होगा।

हम दोनों वहाँ पड़े बेंच पर बैठ गए। तब मैंने उस लड़की को ध्यान से देखा। वह बला की सुन्दर, छोटे कद की एक पहाड़न लड़की थी, जिसकी बड़ी बड़ी चूचियाँ, भरी हुई गांड, सारा जिस्म गजब का था, पूरा बदन उसका बहुत सेक्सी था। ऊपर से उसकी बिल्ली जैसी आँखें और दूध जैसा गोरा बदन था। बस साधारण कपड़ों और गरीबी ने सब ढक रखा था।

उसने मुझसे दवाइयों के पैसे पूछे तो मैंने कहा- कोई बात नहीं, ये तो मेरा फर्ज था। वह रोने लगी। मैंने उसे चुप करवाया और प्यार से अपना एक हाथ उसके सर पर रखा।

कुछ देर बाद मैं उसके और अपने लिए चाय और कुछ खाने का सामान ले आया। चाय पी कर हम बच्चे के पास गए।

बुखार काफी कम हो गया था और बच्चा सो गया था। बच्चे को दवाई के साथ इंजेक्शन भी दिया गया था। उसने सारी बातें अपनी मम्मी को फोन पर बता दी थीं।

रात के दो बज रहे थे, हम बैंच पर बैठे थे। वह बैठे बैठे सोने लगी थी, सोते सोते उसका सिर मेरे कंधे पर टिक गया और वह काफी देर सोती रही। जब वह उठी तो उसने देखा कि वह मेरे कंधे पर सो रही है तो उसने सॉरी कहा।

मैने पूछा- तुम पढ़ी लिखी हो?

तो उसने बताया कि वह प्लस टू पास है, उसका नाम डोली है, उसका पति शराबी था, जो हमेशा उसे मारता रहता था और दहेज़ के लिए तंग करता रहता था। फिर उसने पंचायत के माध्यम से उससे तलाक ले लिया और यहाँ अपनी माँ के पास पिछले छः महीने से आकर रहने लगी है। उसका बाप सरकारी नौकरी में था, जिसकी मौत हो गई थी, माँ को कुछ सरकार की तरफ से पेंशन मिलती है और अब वह भी एक फैक्टरी में नौकरी करती है, जो सुबह 8 बजे से सांय 8 बजे तक होती है, बड़ा ही मेहनत का काम है जो उसे पसंद नहीं है।

इन्हीं बातों में सुबह के 4 बज गए।

बच्चा बिलकुल ठीक हो गया था और सो रहा था। डॉक्टर्स ने कहा कि सुबह 8 बजे बच्चे की छुट्टी कर देंगे।

मैं काफी थक गया था, सामने ही पार्किंग में गाड़ी खड़ी थी, मैंने कहा- मैं थोड़ा गाड़ी में बैठ कर आराम कर लूँ, यदि तुम भी आराम करना चाहती हो तो आ जाओ। वह उठ कर मेरे पीछे पीछे चल दी।

 

मैंने गाड़ी खोली और पिछली सीट पर बैठ गया और उसे भी पीछे ही बैठने को कहा। गाड़ी में बैठकर उसने मुझसे कहा- आप नहीं होते तो पता नहीं क्या होता। मैं आपकी बहुत अहसानमंद रहूंगी।

उसने मेरे बारे में पूछा तो मैंने अपने बारे में बता दिया। जब उसे पता लगा कि मुझे खाना बनाने की दिक्कत है तो उसने कहा कि आपका खाना मैं घर से बना कर भिजवा दिया करुँगी।

मैंने मना कर दिया और उसे कहा कि यदि तुम्हें बुरा न लगे तो तुम मेरे फ्लैट पर आकर मेरा तीनों टाइम खाना बना दो, बदले में मैं तुम्हें फैक्ट्री जितनी सैलरी दे दूंगा। तुम फैक्ट्री की नौकरी छोड़ो, मेरे यहाँ सुबह 8 बजे से सांय 8 बजे तक रहो और बीच बीच में जब काम नहीं हो तो अपने घर चली जाना।

पहले तो वह झिझकी, परन्तु बाद में बोली- मैं मम्मी से बात करके बताऊँगी।

मैंने कहा- ठीक है। मुझे नींद आने लगी और मैं कार में सो गया, जब आँख खुली तो वह लगभग मेरी गोद में लेटी हुई सो रही थी। मैं हिला नहीं और उसकी चूचियों और उसके हुस्न को देखता रहा।

थोड़ी देर में उसकी आँख खुली तो वह अपने आपको मेरी गोदी में पाकर शरमा गई। मैंने धीरे से उसके बालों में हाथ फिरा दिया। उसने आँखों से कुछ प्यार जताया और उठ कर बाहर निकल गई।

हम बच्चे को डिस्चार्ज करवा कर वापिस आ गए और मैंने उसे उसके पर घर उतार दिया।

मैं घर आकर सो गया।

लगभग 12 बजे दरवाजे की घंटी बजी, मैंने देखा डोली और उसकी माँ दरवाजे पर खड़ी थीं। वे अंदर आ गई और डोली की मम्मी कहने लगी- साहब, आपने हमारी बहुत मदद की है, आज से डोली आपके घर का सारा काम करेगी, जो देना हो दे देना, वैसे फैक्ट्री में इसे 6000 रूपये मिलते हैं।

मैंने कहा- मैं इसे 7000 रूपये महीना दूंगा परन्तु घर का सारा काम करना होगा और जब चाहूँगा बुला लूँगा।

उन्होंने कहा- ठीक है।

डोली को छोड़ कर उसकी माँ चली गई।

डोली ने सारे घर की सफाई की, फिर किचन में जाकर खाना बनाया। बहुत ही अच्छा खाना था। उसने बताया कि उसने आज तक किसी के घर काम नहीं किया है क्योंकि वह कामवाली बाई नहीं है परन्तु मुझे न नहीं कर सकी।

डोली लगभग 3 बजे चली गई और मुझसे पूछ कर 7 बजे फिर आ गई और खाना बनाया। मैंने उससे कहा कि बचा हुआ खाना अपने घर ले जाया करे।

हर रोज डोली आने लगी। जब भी वह सफाई करते हुए झुकती तो मैं उसकी चूचियों व चूतड़ों को ही देखता रहता था। उसे भी पता लग गया था कि मैं उसे देखता हूँ, परन्तु वह मुस्करा देती थी।

एक दिन वह नहीं आई, मैंने फोन किया तो पता चला की उसके पाँव में मोच आ गई है। मैं उसे डॉक्टर को दिखाने ले गया। उससे चला नहीं जा रहा था तो मैंने उसकी कमर में हाथ डाल कर कार में बैठाया। डॉक्टर ने गर्म पट्टी बांध दी और मैंने फिर उसी तरह कमर में सहारा देकर कार में बैठा दिया।

अब की बार मेरा हाथ उसकी चूची को अच्छी तरह छू रहा था, वह कुछ नहीं बोली।

रास्ते में उसने कहा- पता नहीं आपका कितना अहसान लेना बाकी है।

मैंने कहा- डोली! जब दिल करे तब अहसान उतार देना।

उसने मेरी तरफ देखा और शरमा कर गर्दन नीचे कर ली।

दो दिन बाद वह ठीक हो गई, तब तक खाना उसकी माँ ने बना दिया।

शेष अगले भाग में ………………………………

अगला भाग पढ़ें  (Part 2)

 

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