जिस सुन्दरी की मैं चर्चा करने जा रहा हूँ, वो आज की हीरोईन कटरीना कैफ के टक्कर की है। यौवन ऐसा कि जैसे बरसाती नदी का उफान भी कम लगे। एक बार सजी-संवरी देख लो, तो होश उड़ जायें और उसे पाने की तमन्ना दिल को बिलकुल ही बेकाबू कर दे।
मैं अपनी पढ़ाई के दौरान एक बड़े शहर में अपने मामा के यहां रहता था। मेरे दोनों मामाओं की शादी हो चुकी थी और उनकी सुन्दर पत्नियां थीं, पर बड़ी वाली मामी तो लाजबाव थी, जिसकी मैं बात कर रहा हूँ…!!
शुरू में तो दिल को बड़ा मनाया पर दिल कहां मानता है और उसके साथ संभोग करने की चाहत लेकर मैं तरसने लगा! अगर कभी उसकी नंगी टांग भी दिख जाती तो अपने आपको संभालने के लिए मुझे बाथरूम में जाकर स्वयं को उत्तेजित करके अपने खुद के हाथों से ही शांत होना पड़ता था…
वैसे रोजमर्रा के जीवन में उसकी और मेरी अक्सर लम्बी बातें होती रहती थीं, पर मैं यह नहीं जानता था कि मैं उसके साथ मजे ले सकता था कि नहीं? क्या वह मेरे बारे में इस तरह सोचती थी या सोच सकती थी! लगता था कि वह मुझे बिल्कुल सीधा और शरीफ ही समझती थी।
एक दिन की बात है कि मैं कालेज के लिए निकल ही रहा था कि बाहर जाते वक्त मामी ने गुसलखाने में से हाथ बाहर निकाल कर मुझसे साबुन मांगा, दरवाजा पूरा लुढ़का हुआ था, बस केवल उनका हाथ ही बाहर झांक रहा था। इत्तेफाक से साबुन देने जब मैं गुसलखाने के दरवाजे के सामने पहुँचा, तो वहाँ पर पड़े पानी में मेरा पैर फिसल गया और मैं रपट कर दरवाजे को खोलता हुआ सीधा बाथरूम में पहुंच गया।

बस अब मैं क्या बताऊँ, जो देखा, मेरा तो पैन्ट में ही झड़ने को हो गया। उनका गोरा बदन, मोटी चूचियां और छोटे-छोटे बालों के बीच छुपी चूत को देखते ही मेरा दिमाग पूरी तरह झनझना गया! लगता था कि उन्होंने अपनी चूत के बाल कुछ दिनों पहले ही क्रीम से साफ किये थे। एक मिनट के लिए तो हम दोनों हक्के-बक्के रह गये। उस वक्त तो मैं वहां से चुपचाप निकल कर चला गया क्यूंकि इस समय घर में और भी लोग थे और इस तरह गुसलखाने में मामी से बात करते देखकर सभी मेरी गांड़ तोड़ देते।
मामा अक्सर रात को घर देर से आते थे, इसलिए कभी-कभी मामी से उसके कमरे में बैठ कर मैं बातचीत कर लिया करता था।
उस रात मैंने शरारत से चमकती आँखों से देखते हुए मामी से पूछा-आज तो बड़ा गड़बड़ हो गया।
मामी ने पूछा–क्या?
मैं बोला वही, सुबह आपको साबुन देते समय!
तो उन्होंने कहा–नहीं! जो हुआ सो हुआ!
मैं बोला–लेकिन मुझे सब कुछ दिख गया!
इस पर वह एक दम शरमा गई और उनका चेहरा लाल हो गया। अब मुझे लगने लगा कि शायद कुछ जुगाड़ बन सकती थी।
कुछ दिन बाद मामा को किसी काम से बाहर जाना था और उन्हें वापस आने में कम से कम तीन दिन लग जाते।
उस रात मैंने मामी से कहा–अब आपके आगे के दो-तीन कैसे कटेंगे?
वह बोली–हां बात तो ठीक है, पर क्या करें।
मैंने उनको कैरम बोर्ड खेलने के लिए मना लिया। खेलते-खेलते एक गोटी उनकी साड़ी के अन्दर जा घुसी। मैंने गोटी ढूँढने के इरादे से झट से साड़ी में हाथ डालना चाहा तो वो शरमा गई और गोटी खुद निकाल दी।
उन्होनें जब गोटी साड़ी के अन्दर से निकाली तो मुझे उनकी पैन्टी दिख गई थी। मैं उनकी पैन्टी देख कर मेरा लंड गनगना गया था।
खेलने के बाद में मुझे बिस्तर पर बैठे हुए बातें करते समय मेरी हथेली तकिया के नीचे गई तो मेरे उँगलियों में किसी कड़ी चीज का स्पर्श हुआ मैने झट उसे बाहर निकाला, वह एक कंडोम का पैकेट था।
इस पर मैंने जानबूझ कर पूछा–मामी, यह क्या कोई पान मसाला है? आप मसाला खाती हो?
मामी बोली–कुछ नहीं है, वहीं रख दो।
मैंने कहा–मामी मैंने टीवी में अक्सर इसका एड भी देखा है, बताओ ना यह क्या है…?
मामी ने कहा–“तुम तो ऐसे पूछ रहे हो जैसे कुछ पता ही नहीं।”
मैंने कहा–अगर पता होता तो क्यों पूछता?
पर मामी ने कह दिया–रहने दो, यह बड़ों के काम की चीज है।
मेरे इस बारे में बार-बार सवाल करने पर मामी ने टीवी में एक चैनल ढूंढा, जिस पर एक सेक्सी सीन चल रहा था और उसकी तरफ इशारा कर दिया।

मैं बोला–इसमें यह चीज तो कहीं दिख ही नहीं रहीं…?
मामी चुप हो गई।
मैं मामी के पास दूसरी बार रात के लगभग 11 बजे फिर पहुँच गया और फिर से सेक्स सीन वाली हरकतें करने लगा।
मामी बोली–यह क्या कर रहे हो?
इस बीच मेरा लंड भी धीरे-धीरे अपना आकार बदलने लगा।
मैंने पूछा–मामी लड़कियों का भी ऐसा ही होता है? उस दिन जबसे मेरी नजर बाथरूम में आप पर पड़ी थी तभी से मेरी उत्सुकता बढ़ गई है। जल्दी-जल्दी में जो कुछ देखा उसको लेकर कुछ सवाल हैं मेरे मन में।
उन्होंने होंठ दबा कर इन्कार में सर हिलाते हुए कहा–नहीं…।
मैं बोला–तो आप दिखाओ ना कि कैसा होता है? और यह खड़ा क्यों हो जाता है?
उन्होंने साफ मना कर दिया।
मैं बोला–आपने ना मुझे पहले यह बताया कि तकिए के नीचे रखा पान मसाले जैसा पैकेट किस काम आता है, ना अब अपनी टांगों के बीच दिखाती हो। यह अलग बात है कि मैं उसकी एक झलक पहले भी देख चुका हूँ।
इस पर कुछ वो जरा खुली आवाज में बोली–लड़कियों के बाहर कुछ नहीं खड़ा होता है। हमारा तो सब काम अंदर-ही-अंदर चलता है।
मैं अपने लंड को पैंट के ऊपर से सहलाते हुए बोला–लड़कियों की कैसी होती है?
यह सब सुन कर और मुझे लंड सहलाते देख कर मामी बोली–देखो यह सबको नहीं दिखाया जाता है।
मैं बोला–पर मैं तो आपके नीचे का देख चुका हूँ, बस केवल एक बार दोबारा ठीक से देखना चाहता हूँ।
वह बोली–हाँ, वह तो है, लेकिन एक शर्त पर दिखा सकती हूँ।…
शेष अगले भाग में ………………………………