बिन मांगे मोती मिला – Part 2

पहला भाग – part 1

तीसरे दिन सुबह 9 बजे जब वह आई तो बारिश हो रही थी, वह बिल्कुल भीग गई थी। उसने घंटी बजाई तो मैंने देखते ही कहा- फिर बीमार होने का इरादा है क्या?

तो वह मुस्करा कर बोली- आप हैं न ठीक करवाने के लिए।

मैं समझ गया कि आज वो मस्ती के मूड में है, मैंने उससे कहा- ठीक है, बाथरूम में जाओ और कपड़े बदल लो।

उसने कहा- कपड़े तो हैं नहीं!

मैंने कहा- मैं देता हूँ।

यह कह कर मैं उसे बाजू से पकड़ कर बाथरूम में ले गया और उससे कहा- अब भीग ही गई हो तो पहले शैम्पू से अपना सिर धो लो, फिर खुशबूदार साबुन से नहा लो।

उसे मैंने हाथ में एक सेफ्टी रेजर पकड़ाते हुए कहा कि सबसे पहले अपने ऊपर नीचे के बाल साफ़ कर लेना और नहाने के बाद पूरे बदन पर एक खुशबूदार क्रीम लगाने को दी, जो बाथरूम में ही रखी थी और दरवाजा बंद कर दिया।

उसने कहा- कपड़े तो दो?

मैंने कहा- तुम अपनी साफ सफाई करो, मैं कपड़े देता हूँ।

उसने लगभग आधे घंटे बाद थोड़ा दरवाजा खोल कर कपड़े मांगे तो मैंने मेरी एक छोटी सी आधी बाजू वाली मलमल की कुर्ती दे दी जो मैं गर्मी में कभी कभी पैंट के ऊपर पहनता था।

उसने कुर्ती पहन ली और नीचे का कपड़ा मांगने लगी।

मैंने उससे कहा- और कुछ नहीं है बाहर आ जाओ।

वह बाहर नहीं आ रही थी।

मैंने धीरे से दरवाजा खोला तो वह दरवाजे के पीछे छिप कर खड़ी हो गई। वह बला की सुन्दर लग रही थी। कुर्ती बहुत छोटी थी जिससे उसकी चूत का नीचे का थोड़ा सा हिस्सा साफ दिखाई दे रहा था जो उसने अपने हाथों से ढक रखा था।

पीछे से कुर्ती उसके आधे चूतड़ों को ढके हुए थी, आधे नंगे थे। उसकी जांघें केले के तने जैसी मुलायम थी।

उसने शैम्पू से बाल धो कर खुले छोड़ रखे थे और उसके चुचे सफ़ेद पतली कुर्ती को जैसे फाड़ने को हो रहे थे। कुल मिला कर वह मन्दाकिनी हिरोइन जैसी लग रही थी।

मुझसे रहा नहीं गया, मैंने उसका हाथ पकड़ा और बाथरूम से बाहर ले आया और झट से उसे बाहों में भर लिया। बहुत देर तक उसके होठों को और गालों को चूसता रहा और उसके चूतड़ों को सहलाता रहा। उसकी चूत पर हाथ फिराया तो लगा मानो किसी मखमल की चीज को छू लिया।

मैंने उसको पीठ की तरफ मोड़ा और लोअर में से अपना लंड निकाल कर उसके आधे नंगे चूतड़ों के बीच अड़ा दिया और आगे हाथों से उसकी दोनों चूचियों को पकड़ कर खड़ा हो गया। उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं की और मेरे जिस्म से चिपक गई।

पीछे लंड लगाए लगाए मैं एक हाथ को उसकी चूत पर फिराने लगा, वह आनन्द से सिसकारियाँ भरने लगी।

कुछ देर मजा लेने के बाद वह मेरी तरफ घूम गई और मुझे बांहों में भर लिया। मैंने भी उसे कस कर बाँहों में जकड़ लिया और उसकी जांघों को थोड़ा चौड़ी करके अपने लंड को थोड़ा नीचे झुक कर चूत पर रख दिया। मेरे लंड का सुपारा सीधा उसकी चूत के दाने को रगड़ने लगा और वह आनन्द से सिसकारियाँ लेने लगी। अब उसकी चूत तड़प उठी थी, उसने अपने हाथ से मेरे लंड के सुपारे को दुबारा अच्छी तरह अपनी चूत पर उसके मुताबिक सेट किया और चूत को सुपारे पर रगड़ने लगी।

मैं एक बिना आर्म वाली चेयर पर बैठ गया और उसको अपनी ओर खींच लिया। उसकी दोनों टाँगों के बीच में मेरी दोनों टांगें आ गई। मैंने अपना दाहिना हाथ उसके चूतड़ों पर रखा और चूची को कुर्ती के ऊपर से ही मुँह में लेकर चूसने लगा। मेरा एक हाथ उसकी चूत पर जा टिका।

उसे कुर्ती के ऊपर से ज्यादा मजा नहीं आ रहा था अतः उसने कुर्ती निकाल दी। अब वह मादरजात, मेरे सामने नंगी खड़ी थी, उसकी मस्त 36 इंच की चूचियों पर मैं टूट पड़ा। मैं बार बार बदल बदल कर उसके दोनों मम्मों को चूसे जा रहा था, साथ में उसकी मखमली गांड को एक हाथ से सहला रहा था और एक हाथ से उसकी चूत में अपनी बीच वाली उंगली कर रहा था।

उसे हर तरफ से आनन्द आ रहा था। कुछ देर ओरल सेक्स के बाद उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया और वह एक बार निढाल हो कर कुर्सी पर मेरी गोदी में बैठ गई।

मेरा लंड उसकी चूत के पास दोनों जाँघों के बीच से ऊपर की तरफ निकल आया था। मैं उसे तरह तरह से प्यार करता रहा।

मैं कुर्सी से उठा और अपना लंड उसके मुँह में चूसने को देने लगा। पहले तो उसने आनाकानी की, फिर मेरे कहने से ले लिया और चूसने लगी। मैं उसकी चूचियों से खेलता रहा।

कुछ देर बाद वह बोली- अब हम लेट जाते हैं और बेड पर करते हैं।

मैंने उसे बेड पर लिटा दिया और उसकी टांगों को चौड़ा किया। पहली बार मैंने उसकी पूरी चूत को देखा। क्या कमाल का गुलाबी रंग था उसकी उभरी हुई चूत थी। जब मैंने उसकी दोनों बड़ी फांकों को अलग करके देखा तो अंदर पिंक कलर के छेद के ऊपर छोटी छोटी दो गुलाबी पत्तियां सी थी।

मुझसे रुका नहीं गया और मैंने उसकी टांगों के बीच अपने तने लंड के साथ उसको चोदने के लिए पोजीशन ली। उसकी टांगों को थोड़ा मोड़ कर ऊपर उठाया और लंड के सुपारे को उसकी नर्म और सुलगती चूत पर रख दिया। उसने आनन्द से अपनी आँखें बंद कर ली।

मैंने थोड़ा जोर लगाया तो पहले से पानी छोड़ चुकी चूत में आधा लंड प्रवेश कर गया।

क्योंकि उसे चुदे तीन साल हो गए थे अतः उसे थोड़ा दर्द हुआ, वह कहने लगी- थोड़ा धीरे धीरे डालो।

मैंने उसके दोनों कंधे पकड़े और उसके होठों को अपने होठों में ले कर लंड पर ज़ोर डाला। लंड बड़े प्यार से चूत में फिसलता हुआ जड़ तक बैठ गया। उसने मजे से संतोष की सांस ली और मुझे गर्दन हिला कर इशारा किया कि अब मैं चोदना शुरू करूँ।

मैंने थोड़ी उसकी टांगों को ऊपर अपनी बाँहों में उठाया और उसकी चूत को अपने फनफनाते लंड से चोदना शुरू किया। वह मजे से चिल्लाने लगी। मैंने उसके मुँह पर हाथ रख लिया और रुक कर उसके मम्मे चूसने लगा। परन्तु उसकी हाइट छोटी होने से मुझे दिक्कत हो रही थी।

फिर मैंने उसकी टांगों को अपने कन्धों पर रखा और लौड़े को अंदर बच्चादानी तक पेलने लगा। वह मजे से उम्म्ह… अहह… हय… याह… चोदो…बस.. धीरे… हाँ…हाँ.. आदि बोले जा रही थी।

आखिरकार हम दोनों एक साथ मुकाम पर पहुँच गए। उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया और मेरे लंड ने वीर्य की पिचकारियाँ छोड़ी। दोनों के माल ने बेड की चादर को भिगो दिया।

मैं उसके ऊपर लेटा रहा।

मैंने उससे पूछा कि क्या वह खुश है तो उसने हाँ में सिर हिलाया, वह बोली कि जिंदगी में पहली बार किसी ने मुझे इतने प्यार और इज्जत से चोदा है।

उसने बतया कि मुझे आज सही मायने में पता लगा है कि मर्द कितनी प्यारी चीज होती है, आज आप चाहे मेरी जान भी मांग लो, मैं दे दूँगी, मैं और मेरी चूत आज से आपकी हुई

उसने बताया कि उसका पति लगभग नामर्द था और सेक्स करते वक्त गालियाँ देता था जो उसे अच्छा नहीं लगता था। उसका लंड भी पतला सा था और 2-3 मिनट में झड़ जाता था।

कुछ देर हम दोनों यूँ ही लेटे रहे और प्यार करते रहे।

उसको नंगी पड़ी देख मेरा लंड फिर अकड़ कर खड़ा हो गया, मैंने उसकी चूत के दाने को छूना शुरू किया और वह कसमसाने लगी। फिर मैंने दाने पर अपना मुँह रखा और जीभ और होठों से उसे चूसने लगा।

वह अपनी जांघों को भींचने लगी और चुदने के लिए तैयार हो गई।

उसने मुझसे पूछा- और करना है?

मैंने कहा- तुम तैयार हो तो एक बार मजा और ले लेते हैं।

अब की बार मैंने उसे बेड पर घोड़ी बना लिया। उसकी चिकनी और 40 साइज़ की गांड का नजारा ही कुछ अलग था। मैंने उसे पीछे करके बेड के कोने पर कर लिया और नीचे फर्श पर खड़े हो कर उसकी सुन्दर शेप वाली चूत को हाथ की उंगली से थोड़ा खोलकर लंड का सुपारा उसमें सेट किया और धीरे धीरे जोर लगा कर सारा लंड अंदर ठोक दिया।

वो थोड़ी असहज लग रही थी परन्तु टाँगें चौड़ी करके पूरा लंड निगल गई।

मैंने उसके दोनों कंधे पकड़े और अपनी स्पीड बढ़ा दी। पूरे कमरे में ज़ोरदार चुदाई की आवाजें आने लगी।

वह कभी कहती ‘धीरे करो, अंदर लग रहा है..’ कभी कहती जोर से करो।

मैं भी अपने खड़े होने की पोजीशन को बदल बदल कर उसे चोदता रहा।

कुछ देर बाद उसने कहा कि उसका होने वाला है। मैंने भी अपनी पूरी स्पीड बढ़ा दी, यहाँ तक की बेड की भी चरमराने की आवाजें आने लगी।

लगभग 15 मिनट की और जबरदस्त चुदाई के बाद मैंने अपने लंड से उसकी चूत वीर्य की पिचकारियों से भर दी। वह बेड पर पेट के बल पसर गई और सारे वीर्य से चादर एक जगह से और भीग गई।

दोपहर के तीन बज चुके थे। उसके कपड़े भी लगभग सूख गए थे। वह कपड़े पहन कर अपने घर चली गई और सांय 8 बजे फिर आ गई।

हम दोनों एक दूसरे के साथ हर रोज खूब चुदाई करते रहे। कभी कभी तो वह रात को भी मेरे फ्लैट पर ही रह जाती थी और सारी रात चुदाई का दौर चलता रहता था।

उसकी माँ को भी पता चल गया था परन्तु वह चुप थी शायद यह सोच के कि बेटी की कामवासना भी शांत हो रही थी और नौकरी भी चल रही थी…

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