कुंवारे बदन का दर्द

गीता की बिदाई हुई और वो पिया घर आ गई। भविष्य के सुनहरे सपने संजोए वह न जाने क्या क्या सोचती रहती थी। पिया की बाहों में भरपूर नींद लेना, उनके हाथों का तकिया बनाकर टीवी देखना और भी न जाने क्या क्या।

सहेलियां बताती थी कैसे उन्होंने सुहागरात मनाई और कैसे वे पर्वतों की वादियों में घूमे। नीतू कहती थी पूरी रात नही सोने देते थे मुझे! वह पूछती, पूरी रात…? पूरी रात क्या करते थे? वो काम तो एक घंटे में खत्म हो जाता होगा। वो हंसती, “अरे, वो काम के अलावा और बहुत कुछ होता है पगली।” फिर हंसी की वो देर तक गूंजने वाली ठिठोली। गीता सोचती रहती और बहुत कुछ क्या…? मगर पूछने से हिचकिचाती।

अब सब कुछ अपने सामने देखूंगी। देखूंगी क्या… बल्कि करूंगी। वो सब कुछ जो सहेलियां उसे बताती थी।

गीता ससुराल आई। गीत संगीत और नाच हुआ। रात दो बजे तक शोर शराबा होता रहा। वो बहुत थक गई थी। अपने कमरे में बिस्तर पर नितांत अकेली। 

पति का इंतजार करती रही। आंखों में नींद भरी थी। 

सो जाऊं तो पति नाराज न हो जाएं, पहला ही दिन और ये आराम से सो रही है। उन्हे क्या पता तीन दिन से सो नही पाई बेचारी।

करीब तीन बजे होंगे। वो आए। इस बीच वह कई बार झपकी ले चुकी थी। वह जरा सी आवाज से सचेत हो गई। घूंघट और लंबा कर दिया। बिस्तर पर खास अदा से बैठ गई।

पति ने पास आकर कानो में बड़े प्यार से कहा, “थक गई होंगी। चलो सो जाते है”

“सो जाते है!!!” गीता को आश्चर्य हुआ। क्या सोने का नाम है सुहागरात?.

पति ने धीरे से घूंघट उठाकर चेहरा देखा। जैसे चांद उतर आया हो जमीन पर। इतनी खूबसूरत पत्नी पाकर निहाल हो गया पति।

धीरे से माथे का टीका उतारने लगा, पत्नी ने प्यार से टोका, “पहले मुंह दिखाई दो” एक सांस में कह दिया।

पति ने उसके गालों पर प्यारा सा चुम्बन किया, “ये लो मुंह दिखाई….” फिर उसके सुर्ख नर्म होठों पर चुम्मन लिया, “ये उसका ब्याज।”

गीता कसमसाई, धीरे से बोली, “ये तो तुमने मुझे लूट लिया जी।”

तब तक पति ने मुझे बाहों में भर लिया। इससे पहले कि मैं कुछ और बोलती, उन्होंने मेरे लाल रसीले होठों पर एक चुम्मा और जड़ दिया। मैं निढाल होने लगी। प्यार में डूबने लगी। जैसे मेरे पंख उग आए हों और मनो ऐसा लग रहा था कि मैं रंगीन सितारों में झिलमिला रही हूँ। मैं खुद को भूल चुकी थी। पति की बाहों में अब मुझे सारा संसार समाता दिख रहा था। 

शुरू की ना नुकुर के बाद मैं खुलकर अपने पति का साथ देने लगी। 

उसके बाद उन्होंने मुझे गले लगाया और दोबारा मेरे होंठ चूसने लगा। किस्स करते हुए वो हाथ मेरा गांड पर ले गया और मेरे लहंगे में डाल कर लहंगा नीचे खींच दिया। उन्होंने मेरा लहंगा उतार दिया और अब मैं नीचे सिर्फ पैंटी में थी। फिर उन्होंने मेरी चोली भी उतार दी।

अब मैं उनके सामने सिर्फ ब्रा पैंटी में थी। वो मुझे ऊपर से नीचे तक घूर कर देखने लगा और बोले- तूम तो बहुत खूबसूरत हो। अब से तुम्हारी इस मदमस्त जवानी का रस मैं हर रोज पिऊंगा। 

ये बोल कर उसने ब्रा के ऊपर से मेरे चूचे पकड़ लिए और उन्हें जोर-जोर से दबाने लगे। उनकी पकड़ इतनी मजबूत थी कि मेरे चूचों में दर्द होने लगा। फिर उन्होंने पीछे हाथ डाल कर मेरी ब्रा का हुक खोल दिया और ब्रा को चूचों से अलग कर दिया। अब मेरे गोरे-गोरे चूचे उनके आंखों के सामने थे। वो देखते ही मेरे चूचों पर झपट पड़े और उनको चूसने लगे। वो एक चूचे को चूस रहा था और दूसरे को दबा रहे थे। मुझे दर्द हो रहा था, लेकिन मज़ा भी आ रहा था।

कुछ देर चूचे चूसने के बाद जब मेरे चूचे लाल हो गए तब उसने मुझे चूचों से पकड़ कर बेड की तरफ खींचा और बेड पर लिटा दिया। अब मैं बिस्तर पर सीधी लेट थी और सिर्फ पैंटी में थी। मुझे वासना भरी आंखों से देखते हुए वो अपने कपड़े उतारने लगे। देखते ही देखते वो पूरा नंगे हो गए। उनका लंड जैसे ही मैंने देखा, मैं हैरान हो गई। कम से कम 8 इंच का लंड था उनका। 

उनका लंड देख कर मुझे खुशी भी हो रही थी और डर भी लग रहा था। खुशी इस चीज की, कि आज तो असली मर्द से चुदाई होगी और डर इस बात का कि उनका लंड मुझे बहुत दर्द देने वाला था। 

फिर वो मेरे ऊपर आए और मेरी पैंटी खींच कर उतार दी। मेरी चिकनी चूत गीली हो चुकी थी अब तक और मानो उनको आवाज दे रही थी। उन्होंने मेरी चूत देखते ही मेरी गीली चूत पर अपना मुंह लगा लिया और ऐसे चूसने लगे जैसे कोई रस भरे आम को चूसता है। मेरे मुंह से सिसकियां निकलने लगी। आज तक ऐसा अनुभव नहीं मिला था मुझे। मैं अपने हाथ से उनके सर को चूत में दबाने लगी और गांड उछाल उछाल कर ऊपर-नीचे हिलाने लगी।

वो जीभ अन्दर डाल रहे थे मेरी चूत के और उंगलियों से चूत के दाने को मसल रहे थे। मैं इतनी गरम हो गई थी कि मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया। वो मेरी चूत का सारा पानी चाटने लगे। अब तक मैं समझ चुकी थी बहुत की चोदू पति पाया है मैंने।

फिर उन्होंने मुझे लंड चूसने का इशारा किया। मैं उठ कर उनके सामने घोड़ी बन गई और वो बिस्तर के नीचे खड़े थे। अब उनका लंड मेरे मुंह के सामने था। उनके लंड को जैसे ही मैंने छुआ, मेरे बदन में करेंट सा दौड़ गया। अब मेरे अंदर की जवानी फूट रही था। मैंने लंड को सहलाते हुए चाटना शुरू कर दिया। फिर मैंने उनके लंड को मुंह में डाल कर चूसना शुरू कर दिया।

पूरा लंड तो मेरे मुंह में नहीं जा रहा था, लेकिन जितना हो सकता था मैं मजे से चूस रही थी। फिर उन्होंने मेरे बाल पकड़े और बेरहमी से मेरे मुंह में धक्के देने लगे। मैंने चूसते हुए उनकी और देखा उनका वो मेरी चूसने कि कला से पागल हो रहे थे। 

अब उनका लंड मेरे गले में लग कर मुझे दर्द दे रहा था। लेकिन इस सब में मुझे मजा भी आ रहा था। जब उनका लंड मेरी थूक से पूरी तरह भीग गया, तो अपना लंड बाहर निकाला और वापस मुझे बिस्तर पर लिटा दिया।

फिर वो मेरे ऊपर आए और अपना मोटा लंड मेरी चूत पर रखा। उसके बाद एक जोर का झटका मार कर उन्होंने अपना पूरा लंड मेरे अंदर घुसा दिया। 

मेरे मुंह से चीख निकली तो उन्होंने एक हाथ से मुंह दबा दिया ताकि आवाज बाहर न जाए और धक्के मारने लगे। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने लोहे का गर्म सलिया घुसेड़ दिया हो। शायद ऐसा इसलिए था क्योंकि उनका लंड से बहुत गर्म हो चुका था।

वो मेरी चूत में पूरा लंड घुसेड़ चुके थे और मजे से धक्के मार रहे थे। धीरे-धीरे मेरा दर्द कम हो गया और मुझे भी मजा आने लगा। अब मैं उनसे अपने चूचे चुसवाते हुए चूत मरवा रही थी। मेरे मन में आने लगा कि अब तो घर में ही हर रोज चुदाई होगी, शादी के बाद ऐसे तगड़े लंड का इंतेज़ाम जो हो चुका था। अब मैं अपने पति से जब चाहे चुदवा सकती थी।

तभी अचानक उनको पता नहीं क्या हुआ कि वो लंबे और जोर के धक्के मारने लगे। मुझे दोबारा दर्द होने लगा। मैंने नीचे देखा तो चूत से खून आ रहा था। मैंने उनको धीरे करने को कहा, लेकिन उन्होंने नहीं सुना। वो तो बस चूत को पेले जा रहे थे। ऐसे चोद रहे थे कि चूत को आज ही अच्छे से खोल के ढीली कर देंगे।

वो धक्के मारते गए। चूत पे अंदर तक लंड टकरा रहा था मुझे लग रहा था जैसे उनका लंड मेरे पेट तक जा रहा हो। मैं चीखती रही और वो चोदते रहे। फिर उन्होंने अपना लंड बाहर निकाला और मेरे मुंह पर पिचकारी मार दी। फिर वो बोले – क्या गजब चूत पाई है मैंने, तुम्हारी इस कुंवारी चूत का तो में दीवाना हो गया हूं। अब किसी दिन पीछे से गांड की चुदाई भी करूंगा, उसे भी तो मेरे लंड का स्वाद चखाना होगा।

ये बोल कर वो साइड हो गए। मैं खड़ी भी नहीं हो पा रही थी। फिर जैसे-तैसे मैंने खुद को साफ किया। 

सुबह की लालिमा आकाश में छाने लगी थी। मगर सुहागन के कमरे में सितारों की रौनक सजी थी। अपनी सारी हसरत पूरी करने का जो सुख आज मिला था वो अब हमेशा याद रहेगा। 

वे कब थक गए और कब सो गए कुछ पता ही नही चला। 

उस दिन के बाद मेरे पति ने मुझे बहुत चोदा। अपनी दमदार चुदाई से उन्होंने मेरी गांड भी पूरी फाड़ दी। कुछ ही वक्त में मेरी चूत और गांड का पूरा भोंसड़ा बन गया था पर हमारी आग थी जो पूरी तरह ठंडी ही नहीं हो रही  थी।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page

Scroll to Top