मैं बोला–पर मैं तो आपके नीचे का देख चुका हूँ, बस केवल एक बार दोबारा ठीक से देखना चाहता हूँ।
वह बोली–हाँ, वह तो है, लेकिन एक शर्त पर दिखा सकती हूँ।…
मैंने पूछा–क्या शर्त?
पहले तुम अपनी पेंट खोलो और अपना लंड मुझे दिखाओ, उसे देखने के बाद मैं फैसला करूँगी कि मैं तुम्हें दिखा सकती हूँ कि नहीं। बोलो–मंजूर?
मुझे एक अजीब सी सनसनी अनुभव हो रही थी। मेरी दिमाग कुछ भी सोचने के लिए तैयार नहीं था। मैं बस यही सोच रहा था कि कैसे मामी को शीशे में उतारा जाये।
मैंने मामी की ओर देखते हुए आगे कुछ भी सोचे समझे बिना अपने पैंट की जिप खोली और अपने कच्छे को नीचे उतारते हुए उत्तेजित हुए साँप की तरह तनते जा रहे लंड को दिखलाया।
मामी ने मुश्किल से कुछ ही सेकेण्ड उसे देखा होगा कि बोली–इसे अंदर कर लो। मुझे लगा कि मामी नाराज होकर मना करने वाली है। लेकिन वह पलट कर वापस कमरे के दरवाजे से बाहर गई। एक बार बाहर झाँका और फिर!
उसने दरवाजे बंद करके कहा-लो देख लो, कैसी होती है। मैंने धीरे से साड़ी उठाई और पैन्टी उतारी और ‘तसल्ली से झाड़ियों में छुपी गुलाब की पंखुड़ियों का मुआयना करने लगा।

इस पर वो बोली–ऐसे क्या देख रहे हो..ऐसे मेरी चूत को?
मैं बोला–बड़ी ही सुन्दर है। क्या मैं उंगलियों से छू सकता हूँ?
वह बोली–अब तुम हद से आगे बढ़ रहे हो।
मैं बोला–आपकी तरह ही आपकी चूत भी सुंदर है। क्या आपकी तरह कोमल भी है। बस यही देखना चाहता हूँ।
मामी कुछ क्षणों के लिए झिझकी, लेकिन फिर बोल उठी–ठीक है। छूकर देख लो। उनकी चूत को मैंने अपनी उंगलियों और हथेली से छुआ तो वह खड़े-खड़े ही लहराने लगी। मुश्किल से तीन-चार मिनटों तक सहराने के बाद मैंने देखा कि मामी की आँखे बंद थी और वह धीरे-धीरे थरथरा रही थी।
मैंने पहले भी कुछ लड़कियों के साथ मजे किये थे, लेकिन हमेशा सब-कुछ बहुत जल्दी-जल्दी में हुआ था। एक इतनी सुंदर लड़की को बड़े इत्मीनान से इस प्रकार छूने का मौका कभी नहीं मिला था। उसकी चूत की त्वता इतनी कोमल थी कि मेरा मन कर रहा था कि उसकी चूत को चूम लूं। इस बीच मेरे लंड पर न मेरा ध्यान था और न ही मामी का।
अब मेरा तो मन कर रहा कि इसे जी भर के चाट लूँ..।
मैंने मामी से कहा–क्या यहां मुँह लगा सकता हूँ?
मामी एकदम चौंक गई। बोली–तुम मुँह से क्या करोगे?
मैं बोला–पता नहीं। आपने क्या अभी थोड़ी देर पहले ही नहा करके कोई सुगंध लगाई है?
वह बोली–नहाया तो है पर सुगंध तो कोई नहीं लगाई।
मुझे इस समय उनकी चूत से ऐसी सुगंध आ रही थी कि मैं उसके मजे में खो गया था।
मामी ने फिर पूछा–तुम मुँह लगा कर क्या करोगे?
मैं बोला–पता नहीं, पर यहाँ की कोमलता देखकर इसे चूमने का मन कर रहा है।

शायद मामी के साथ ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था। इसलिए उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह मुझे मुँह लगाने दे या नहीं।
उनकी बेचैनी को देखकर मैंने अपनी हथेली उनकी चूत पर एक बार फिर फिराई और इससे पहले वह या मैं दोनों इस बारे में आगे कुछ सोच पायें, जैसे नदी में हिम्मत करके डुबकी लगाई जाती है, उसी तरह मैंने अपने होठ उसके चूत के ऊपर लगा दिये और फिर मेरी जीभ और होंठ दोनों ने मामी के महकती और चिकनी चूत का एक बार ऊपर से नीचे तक मुआयना किया।
मेरा मुँह अधिक-से-अधिक पंद्रह-बीस बार ऊपर से नीचे गया होगा कि अचानक मामी ने बिलबिला कर मेरा मुँह अपने हाथों से पकड़ कर हटा दिया!
अब वो सेक्स के लिए उतावाली हो चुकी थी और बिना पूछे ही मेरे सारे कपड़े उतार दिए और मेरा लंड अपने मुंह में लेकर मजे से चूसती रही। पहली बार ऐसा चूसने और चुसवाने का मजा आया था। मेरा वीर्य भी उसके होंठों पर छूट गया।

शायद हम दोनों ने कोई नया ताला खोल लिया था।
मैंने बोला-मामी अब मैं क्या करूँ? मेरा लंड तो सनसना रहा है, इसका क्या किया जाये। उसने मुझे सब समझाया कि कैसे मैं अपने लंड को उसकी चूत में डालूँ और आगे-पीछे करूँ और उनकी चुदाई करूं, वैसे तो मैं धुरंधर था, बस नाटक कर रहा था। अब मैं शुरू हो गया। जब हम एक दूसरे में समाये हुए थे उसी बीच अचानक मामी बहुत जोर से काँपने लगी।
मैं बोला–क्या हुआ?
वो सिसकारियों भरती हुई बोली–कुछ नहीं!
मैंने एक सेकेण्ड के लिए रुक गया।
उसने तुरंत आँखे खोल कर मुझे देखा और बोली–रुको मत।
मेरी उत्तेजना भी चरम सीमा पर थी। समय का तो याद नहीं, पर शायद आधे घंटे तक हमने संभोग किया।
इस बीच वह दबी आवाजों में सिसकारियां भरती रही, “आह…ओह…हा..इ.इ.इ.मां…ओह…।” अब उनकी और मेरी सांसें फूल गई थी।
मैंने अपना वीर्य उनकी चूत के दलदल में ही उड़ेल दिया और उनकी चूत का पानी भी बाहर आ चुका था, सब जगह बारिश के बाद की चिप-चिप थी। थक कर हम बेड पर बेसुध हो कर पड़े रहे और एक-डेढ़ बजे तक आराम किया और फिर एक बार जुट गये।
पहली बार तो हम दोनों जल्दी ही झड़ गये थे पर अब जाकर हमको तसल्ली हुई। थोड़ी देर उसके नंगे बदन की गर्मी लेने, गदराई मुसम्बियों के साथ खेलने के बाद और होंठ चूसने के बाद मैं कमरे से चला गया ताकि घर वालों को शक न हो। अगले दिन जब वो अकेली कपड़े धो रही थी तो मैंने उसकी साड़ी में हाथ देकर उगंली उनकी चूत में घुसा दी।
इस पर बोली-एक रात में ही इतना बिगड़ गये और अब तक प्यास नहीं बुझी? पता है अब तक कितना दर्द कर रही है।
मैं बोला-लाओ, अभी चाट कर ठीक किये देता हूं… वो बोली-रहने दो कोई देख लेगा।
मैंने बाथरूम बंद कर पहले तो उनकी चूत चाटी और मस्त उनकी चूत का पानी एक बार फिर से बाहर निकाल दिया और फिर उन्होंने भी मेरा लंड जम के चूसा।
वह बोली–मुझे को कल रात से बार-बार सिहरन हो रही है। सच में तुमने क्या कर दिया।
मैं बोला तो फिर आज रात को भी कुश्ती हो जाए, नहीं कल तो मामा आ जायेगें। और उस रात भी मैंने उसकी गड़ाई और सौंदर्य के यौवन का जी भर के मजा लिया और एक सवाल भी किया कि क्या इससे पहले किसी ने उनकी चूत पर मुँह नहीं लगाया था?
तो उनका जवाब था–हमने कभी सोचा ही नहीं। मैं तो कुछ अधिक करती नहीं जो ये करते हैं वही होता है। मेरी सहेली ने शादी से पहले बताया था कि शुरुआत में तुम ज्यादा अकल मत लगाना। नहीं तो लोग तुम्हारे बारे में उल्टा-सीधा सोचेंगे। अब तुम्हारे मुँह लगाने के बाद पता चला कि चूत इतना सुखदायी मजा भी देता है। उस दिन के बाद जब भी मौका मिलता था, मैं और मामी को एक दूसरे के जिस्म कोे भरपूर आनन्द देते थे।